आदिवासी समाज के सांसद और विधायक अपने समाज के लोगों को आगे बढ़ाने और व्यवसाय के क्षेत्र में रोजगार देने में पीछे

निबंधन नियमवाली और कार्य आवंटन में एसटी को आरक्षण का वादा अधुरा


चाईबासा: आज पश्चिमी सिंहभूम जिला में विकास योजनाओं के टेंडर प्रक्रिया में आदिवासी समाज की भागीदारी शून्य जैसी है, एक प्रतिशत ही एसटी कोटा से संवेदक नज़र आते हैं, उसे भी अपने ही समाज के माननीय लोगों के हाथों शोषण का शिकार होना पड़ता है। अविनाश सिरका और मतियस तुबिद जैसे ठिकेदार को आर्थिक रूप से मजबूत नहीं होने दिया जाता है।

संवेदक निबंधन नियमावली में एसटी कोटा कोई आरक्षण नहीं है, साथ ही निविदा में भी कार्य आवंटन में आरक्षण, प्राथमिकता नहीं है। ऐसे में एसटी कोटा के संवेदकों की संख्या नहीं के बराबर है। स्थानीयता पर भी सामान्य वर्ग हावी हो रहें हैं। माननीय के इर्द गिर्द में सिर्फ पुंजी पति और दबंग ठिकेदार की टोली रहती है, उस टोली में एसटी एससी का नामोनिशान नहीं रहता है।

आदिवासी हो समाज भी अपने समाज के युवा वर्ग को संवेदक बनाने के लिए जागरूक करने में पीछे हैं। आज आदिवासी समाज के युवा वर्ग पूंजीपति संवेदकों के पीछे घूमने और उनके लिए टेंडर मैनेज करने पर लगे रहते हैं। आदिवासी बहुल्य जिला और सभी विधायक एसटी सांसद एसटी होने के बाद भी आदिवासी समाज के संवेदक कहां हैं, इस पर हो आदिवासी समाज को गंभीरता से सोचने की ज़रूरत है। पांच विधायक, एक सांसद के रहते आदिवासी समाज के संवेदकों की स्थिति दयनीय है।

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post