हिंदी दिवस पर विशेष: भारत की हिंदी, हिंदू, हिंदुस्थान विश्व में दे रहा सत्यम, शिवम, सुंदरम का संदेश


सरायकेला/दीपक कुमार दारोघा: मानव का अपना कुछ नहीं होता है। उसका नाम भी दूसरों का दिया होता है। दूसरों का दिया नाम से समाज में परिचित होता है। ठीक उसी तरह नाम हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान भी किसी भारतीय का दिया नाम नहीं बल्कि भारत के बाहर के लोगों की उपज रही। बताया जाता है कि करीब 11वीं शताब्दी के आसपास फारसी बोलने वाले लोगों ने सिंधु नदी के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को हिंदी नाम दिया था। ऋग्वेद में सप्त सिंधु का उल्लेख है। भाषाविदों के मुताबिक "सप्त सिंधु" पारसियों के धर्म भाषा अवेस्ता में हफ्त हिंदू में परिवर्तित हो गया।

परवर्ती समय में ईरानियों ने सिंधु नदी के पूर्व में रहने वालों को हिंदू नाम दिया। इसके बाद अरब से मुस्लिम हमलावर भारत आए तो भारत के मूल धर्मावलियों को हिंदू कहना शुरू कर दिया। यह भी कहा जाता है कि पर्सियन शासक डेरियस प्रथम ने जब अविभाजित भारत में  सिंधु घाटी के कुछ इलाकों में अधिकार किया तो सिंधु नदी के पीछे वाले भूमि को हिंदुस्तान पुकारा। घटना 515 ईसा पूर्व का बताया जाता है। यह भी कहा जाता है कि भारत को अंग्रेज द्वारा थोपा गया एक नाम इंडिया भी है। 

अंग्रेज की गुलामी से मुक्ति के बाद भारत में 14 सितंबर 1949 को हिंदी  औपचारिक भाषा का दर्जा प्राप्त की। भारत की बहुभाषी विविधता वाले देश में हिंदी भाषा ही एक दूसरे को जोड़ने में सफल है। अब तो यह भी कह सकते हैं कि भारत की हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान विश्व में सत्यम शिवम सुंदरम का संदेश दे रहा है। यहां तक कि 14 सितंबर को स्कूल, कॉलेज में भी हिंदी दिवस मनाया जाता रहा है।

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