जल संसाधन विभाग के अधिसूचना को एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा आधार बनाकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर होगी
पुनः तीनों पद पर अधिसूचना जारी कराने के लिए निर्वाचन आयोग में सेटिंग गेटिंग में अवधेश कुमार लगे
दो विभाग के अधिकारी और मंत्री ने अवधेश कुमार को फिर से मुख्य अभियंता बना कर आदिवासी अभियंताओं के भ्रम को तोड़ने की कोशिश की गई
चाईबासा/संतोष वर्मा: आदर्श आचार संहिता लागू होने से अवधेश कुमार का मुख्य अभियंता,ग्रामीण विकास विशेष के रिक्त पद पर पदस्थापन का मामला लटका, बैक डेट से अवधेश कुमार अधिसूचना जारी कराने में देर रात तक विभाग में जमे रहे। विदित हो कि जल संसाधन विभाग ने पिछले सप्ताह कई अभियन्ताओं की सेवा ग्रामीण कार्य विभाग को दी है। जिसमें मुख्य रूप से चर्चित अभियन्ता अवधेश कुमार की, जिसे विभाग ने नियम को ताक पर रखकर अधीक्षण अभियन्ता अवधेश कुमार को चालू स्वतन्त्र मुख्य अभियंता बना कर ग्रामीण में सेवा दिया गया है। ताकि ग्रामीण विकास विशेष का पुनः पूर्ण रूप से मुख्य अभियंता के पद पर नियुक्त किया जा सके।
अवधेश कुमार के लिए ग्रामीण कार्य विभाग आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन भी करने में कोई कसर नहीं छोड़ सकते हैं। हाँण अवधेश कुमार राज्य निर्वाचन आयोग में अपने अधिसूचना के लिए सेटिंग गेटिंग भी कर लिये जाने की सूचना हैं। अब सवाल उठता है कि अवधेश कुमार को पुनः रांची और पलामू अंचल का अधीक्षण अभियन्ता के पद पर प्रभारी नियुक्त किए जाएंगे।
सूत्रों की माने तो पहले से संभाल रहे तीनों पद पर पुनः तीनों पद की चाह बनाए हुए हैं अवधेश कुमार। सूत्र बताते हैं कि विभागीय सचिव को तीनों पद के लिए बड़ा ऑफर अवधेश कुमार के द्वारा दिये जाने की चर्चा जोरों पर है। अवधेश कुमार ने अपनी ऊंची पहुंच और पैरवी के बल पर किसी भी अपने समकक्ष वाले अभियन्ता की सेवा ग्रामीण में नहीं आने दी है, ताकि कोई भी बाधा उत्पन्न नहीं हो। जल संसाधन विभाग के द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद अवधेश कुमार के आगे ग्रामीण कार्य विभाग और जल संसाधन विभाग के आदिवासी अभियंता और समान्य जाती के दिग्गज अभियंता अवधेश कुमार के आगे घुटने टेकने पर मज़बूर हुए।
दोनों विभाग के मंत्री और अधिकारी स्वतंत्र मुख्य अभियंता बनाते हुए फिर से ग्रामीण कार्य विभाग में सेवा देकर यह बतला दिया है कि जब तक हेमंत सोरेन सरकार रहेगा, तब तक अवधेश कुमार ग्रामीण विकास विशेष में मुख्य अभियंता बने रहेंगे। आज की अधिसूचना ने आदिवासी अभियंता वर्ग का भ्रम को तोड़ दिया है, कि झारखंड में आदिवासी मुख्यमंत्री भी है, जहां माफिया अभियंताओं के आगे हेमंत सरकार नतमस्तक है। एक आदिवासी अभियंता ने हेमंत सोरेन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अवधेश कुमार को सेवा निवृत होने तक ग्रामीण विकास विशेष का मुख्य अभियंता बने रहने के लिए दोनों विभागों के सचिव को एमओयू करने जा रही है।
चर्चा में रहे ललन सिंह को अवधेश कुमार ने अपनी ऊंची पहुंच और रणनीति से चारों खाने चित कर दिया है। राम निवास को भी बड़े चालाकी के साथ अपने रास्ते से हटा दिया।
सूत्रों के अनुसार वर्तमान स्थिति में सरकार की मजबूरी बन चुकी है अवधेश कुमार को मुख्य अभियंता बनाए रखना। अभियंता सूत्रों के अनुसार दोनों विभाग अवधेश के टेन्डर घोटाले पर नियंत्रण करने और बचाए रखने की रणनीति के अनुसार अवधेश का साथ देने पर मज़बूर हैं। मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना अन्तर्गत पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के कार्यकाल में 79 पुल के टेन्डर आचार संहिता के लागू होने के बाद डिसाइड किया गया है, जो लगभग 400 करोड़ बताई जा रही है, वही 500 करोड़ के लगभग जिला के DMFT फंड की टेन्डर का डिसाइड अधीक्षण अभियंता की हैसियत से निष्पादन किए हैं।
सूत्र बताते हैं आचार संहिता के समय में जितनी टेन्डर डिसाइड हुई है, अधिकांश टेन्डर में फेल को पास कर भारी कमीसन वसूली की चर्चा हो रही है, जिसकी जांच के लिए भाजपा के पूर्व मंत्री बड़कुवर गागराई ने गृह मंत्री अमित शाह को एक गोपनीय लेटेर लिखने की बात की चर्चा भाजपा कार्यालय में हो रही है। जल संसाधन विभाग की अधिसूचना ने सेवा नियम की मापदंड और नियम प्रक्रिया को स्वंय कटघरे में खड़ा कर लिया है। एक गैर सरकारी संगठन इस अधिसूचना को आधार पर पीआईएल करने पर भी विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार अवधेश कुमार के समर्थक ठेकेदार ग्रुप ने वर्तमान में संभाल रहे तीन पदों पर पुनः नियुक्त किए जाने के लिए पच्चीस करोड़ तक का ऑफर विभागीय सचिव और मंत्री को दिए जाने की चर्चा।
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