सोना राम की जीत से कॉंग्रेस को जिन्दा रखने का आधार मिला है, लेकिन मात्र विधायक के दम पर पुरे कोल्हान को नहीं साधा जा सकता है
कोल्हान से एक मात्र जीतने वाले विधायक को मंत्री बना कर पार्टी की मजबूती का काम करने की मांग हो रही है, आने वाला समय में कॉंग्रेस को झामुमो चुरा ले जाएगा
कोल्हान से कॉंग्रेस विलुप्त होने के कगार पर, झामुमो का बढ़ता प्रभाव से कॉंग्रेस का संगठन हासिये पर
चाईबासा/संतोष वर्मा: कोल्हान से कॉंग्रेस को चुरा ले जाएगा झामुमो. हाँ कोल्हान में इस विधानसभा चुनाव यही दृश्य देखने को मिला है. शहर में भाजपा और गाँव में झामुमो का बोलबाला रहा. एक मात्र जगन्नाथपुर की आरक्षित सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार सोनाराम सिंकु की जीत हेमंत और कल्पना के कारण हुई, दूसरी बात यह है कि सोनाराम सिंकु की शालीनता और अच्छे विचारों के साथ साथ अच्छे वैवहार को जनता ने स्वीकार किया. गठबन्धन का भी लाभ सोनाराम सिंकु को मिला.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार सोना का सिबंल यानी तीर कमान छाप होता तो अनुमान के अनुसार 25 हजार मतों से जीत होती. लोकसभा से ही कोल्हान के गाँव देहात पूरी तरह से झामुमो मय हो गया है, इस चुनाव में भी वही स्थिति देखने को मिला. कॉंग्रेस को अपना संगठन की चिंता करनी चाहिए, अपने वज़ूद को बचाने के लिए अभी से कोशिश करने की जरूरत है.
कॉंग्रेस पार्टी कोल्हान में गठबन्धन के गांठ में मात्र तीन सीट पर ही सिमट कर रह जाएगी, उस पर भी दो शहरी क्षेत्र में जंग लड़ने के सिवा कुछ नहीं कर सकते, एक मात्र जगन्नाथपुर की आरक्षित सीट के भरोसे पूरे कोल्हान का संगठन को मजबूत करना कॉंग्रेस के लिए चुनौती होगा. गठबंधन रहते हुए कोल्हान में कॉंग्रेस को संगठन को मजबूत बनाने के दिशा में काम करते रहना होगा, नहीं तो गठबन्धन टूटने के बाद अचानक से वोटर और जनता कॉंग्रेस से जुड़ने में असहज महसूस करते नजर आएगी.
आज झारखंड में कॉंग्रेस की हालत सबसे ज्यादा खराब है, लेकिन सत्ता में रहने के कारण इसका एहसास आला नेताओं को नहीं हो रहा है, विशेष कर कोल्हान में कॉंग्रेस विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही है. कॉंग्रेस का भाग्य अच्छा था कि जगन्नाथपुर में 24 कैरेट का शुद्ध सोना मिल गया. इस सोना की कीमत शेयर बाजार में इस लिए उछला है कि पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नि गीता कोड़ा के विरासत को छीन लिया है.
सोना राम की जीत से कॉंग्रेस को जिन्दा रखने का आधार मिला है, लेकिन मात्र विधायक के दम पर पुरे कोल्हान को नहीं साधा जा सकता है. कोल्हान में पार्टी के मजबूती और संगठन को उर्जावान बनाए रखने के लिए एक मात्र विधायक को मंत्री बनाया जाना पार्टी लाइन से सबसे ज्यादा जरूरी है.