राजनितिक जानकारों के अनुसार विजय गगराई यदि बीस हजार वोट से आगे निकलते हैं तो सुखराम उरांव की जीत पर ग्रहण लग सकता है
आजसू पार्टी के पूर्व प्रत्याशी राम लाल मुंडा के झामुमो में शामिल होने से सुखराम उरांव को इसका लाभ अपेक्षित रूप से मिलता नजर नहीं आया: सुत्र
हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन के आने से सुखराम उरांव की स्थिती में सुधार होने और विजय को नुकसान होता दिख रहा है
मतदान सम्पन्न होने के बाद सभी राजनितिक पार्टी अपने सर्वे और आकलन करने में विजय गगराई को केंद्र बिन्दु बनाए हुए हैं
झामुमो के भीतरघात से सुखराम उरांव को बड़ा नुकसान हुआ है: सुत्र
चाईबासा/संतोष वर्मा: चक्रधरपुर विधानसभा से सुखराम उरांव का दोबारा विधायक बन पाना सवालों के घेरे में है। हां जिस तरह से सुखराम उरांव का टिकट होल्ड कर दिया गया है, अंतिम समय में झामुमो के बागी निर्दलीय उम्मीदवार विजय गगराई को नज़र अंदाज़ करते हुए सुखराम उरांव पर पार्टी भरोसा जताते हुए अपना उम्मीदवार बनाया है, उस भरोसा के अनुरूप मतदान सम्पन्न होने के बाद सुखराम उरांव के पक्ष में रुझान देखने और सुनने को नहीं मिल रहा है। इस विधानसभा में झामुमो को भीतरघात का भी सामना करना पड़ा है, साथ ही छेत्र में विधायक के प्रति एंटी कॉम्बेंसी भी देखा गया है।भाजपा ने झामुमो के पूर्व विधायक समद को टिकट दे कर झामुमो को मुश्किल में डाल दिया, पूर्व विधायक समद की छवि साफ़ सुथरी होने का लाभ मिलता नजर आ रहा है।
सूत्रों के अनुसार यदि हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन प्रचार करने नहीं आते तो विजय गगराई का सीधा टक्कर भाजपा के साथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसा भी मतदान के छ दिन गुजरने के बाद भी प्रत्याशी और राजनितिक दलों का सर्वे और आकलन का केंद्र बिन्दु विजय गगराई ही है। सभी जानने में परेशान हैं कि विजय किसको विजय बनाने वाले हैं। रुझानों पर नजर डालें तो विजय गगराई त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में सफल नहीं हो पाए हैं, लेकिन झामुमो के भीतरघात का लाभ सीधे तौर पर विजय गगराई को मिलता नजर आ रहा है।
राजनितिक जानकारों ने स्पष्ट रूप से कह रहें हैं कि विजय अपने जीत से ज़्यादा सुखराम की हार को देखना चाहते हैं। विजय गगराई यदि बीस हजार वोट पार करते हैं तो सुखराम उरांव की मुश्किलें बढ़ सकती है।
आज के ताज़ा सर्वे से भाजपा एक नबर पर खड़ी दिख रही है। विजय पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। विजय किसे विजय श्री कराते हैं, 23 तारिख को इसका इंतज़ार है। सूत्रों के अनुसार JKLM के प्रत्याशी कैंची छाप का जलवा देखने को नहीं मिला। कैंची से कमल को नहीं के बराबर नुकसान हुआ है।
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