Chaibasa: झारखंड की जमीनी समस्याओं पर पूर्व मुख्यमंत्रियों की चिंता

झारखंड की आत्मा उसकी परंपरा और प्रकृति में बसती है, जिसे बचाए रखकर ही विकास संभव हैः मधु कोड़ा

चाईबासा/संतोष वर्मा: राज्य की बदहाल आर्थिक स्थिति और प्रशासनिक असंतुलन को लेकर आज रांची में पूर्व मुख्यमंत्री श्री मधु कोड़ा और पूर्व मुख्यमंत्री सह  भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री बाबूलाल मरांडी के बीच एक अनौपचारिक बैठक हुई। जिसमें झारखंड की जमीनी समस्याओं पर गंभीर चर्चा हुई, किसानों, मजदूरों, युवाओं और विद्यार्थियों से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया गया।

विचार-विमर्श के दौरान यह स्पष्ट किया गया कि प्रदेश में किसानों को फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। सिंचाई, बीमा और समर्थन मूल्य जैसी बुनियादी ज़रूरतों की अनदेखी से कृषि संकट गहराता जा रहा है। वहीं, मजदूरों को रोजगार की तलाश में लगातार पलायन करना पड़ रहा है, जिससे राज्य की सामाजिक-आर्थिक संरचना प्रभावित हो रही है। शिक्षा और बेरोजगारी की स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंता जताई गई।

युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता के अभाव में भविष्य की अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। तकनीकी शिक्षा संस्थान और रोजगारपरक प्रशिक्षण केंद्र पर्याप्त संसाधनों के अभाव में प्रभावहीन साबित हो रहे हैं। दोनों नेताओं ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार द्वारा भेजी जा रही योजनाएं राज्य स्तर पर सही तरीके से लागू नहीं हो पा रही हैं।

भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही के कारण आम जनता तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुँच रहा है। साथ ही, सीमावर्ती क्षेत्रों में कुछ बाहरी गतिविधियों और सांस्कृतिक हस्तक्षेपों को लेकर भी चिंता जताई गई, जिन्हें राज्य की सामाजिक समरसता के लिए चुनौती माना गया। बैठक के उपरांत पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा, “झारखंड की आत्मा उसकी परंपरा और प्रकृति में बसती है, जिसे बचाए रखकर ही विकास संभव है।

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