सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता का सवाल, भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया : कांग्रेस*

सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता का सवाल, भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया : कांग्रेस*

 


संतोष वर्मा

Chaibasa:आदिवासी अस्तित्व, अस्मिता और पहचान के लिए जाति जनगणना के फॉर्म के सातवें काॅलम में सरना धर्म कोड जोड़ने की मांग को लेकर आयोजित 26 मई 2025 सोमवार को राजभवन के समक्ष आहुत धरना प्रदर्शन के संदर्भ में शनिवार को कांग्रेस भवन , चाईबासा में एक प्रेस- वार्ता आयोजित किया गया ।

प्रेस-वार्ता को संबोधित करते हुए जगन्नाथपुर के विधायक सह उप मुख्य सचेतक सत्तारुढ़ दल सोनाराम सिंकु ने कहा कि आदिवासी अस्तित्व, अस्मिता और पहचान के लिए जातिगत जनगणना के फॉर्म के सातवें काॅलम को पुनः सूचीबद्ध किया जाए, ताकि आदिवासियों के सरना धर्म को मानने वाले अपने धर्म को अंकित करा सकें। इसके माँग को लेकर राजभवन के समक्ष वृहद धरना प्रदर्शन किया जाना है। महिला नेत्री सह सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने कहा कि भाजपा को आदिवासियों के हितों से कोई सरोकार नहीं है, सरना धर्म कोड आदिवासी अस्मिता और सांस्कृतिक पहचान का सवाल है, जिसे लेकर कांग्रेस शुरु से गंभीर रहा है। भाजपा ने हमेशा आदिवासियों की मांगों को दरकिनार किया और उनके अधिकारों को कुचलने का प्रयास किया है। 

प०सिंहभूम जिला के पर्यवेक्षक सह कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ०प्रदीप कुमार बलमुचू ने कहा कि भाजपा की सरकार ने न तो 2014 से पहले और न ही बाद में कभी ईमानदारी से सरना धर्म कोड के समर्थन में कोई पहल की। उल्टे उनकी सरकारों ने “वनाधिकार कानून” और “स्थानीय नीति” जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर आदिवासियों के खिलाफ कार्य किया है। सरना धर्म कोड की मांग कोई नई नहीं है, बल्कि यह वर्षों पुरानी सामाजिक मांग है, भाजपा को जवाब देना चाहिए कि उनकी सरकार ने इतने वर्षों में इस कोड को लागू क्यों नहीं किया। केंद्र में 10 साल से ज्यादा समय तक सत्ता में रहते हुए भी भाजपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है।

प्रेस-वार्ता में कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर दास , प्रवक्ता त्रिशानु राय , प्रखंड अध्यक्ष दिकु सावैयां , सकारी दोंगो , ललित कुमार दोराईबुरु , सुरेश चन्द्र सावैयां , वरीय कांग्रेसी  राम सिंह सावैयां आदि मौजूद थे ।

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