गोइलकेरा महादेवशाल धाम में खंडित शिवलिंग की होती है पूजा, सावन की पहली सोमवारी पर उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाबसंतोष वर्मा
Chaibasa : गोइलकेरा। सावन मास की पहली सोमवारी 14 जुलाई को पड़ रही है, और इसके साथ ही झारखंड के कोल्हान क्षेत्र स्थित प्राचीन शिवालयों में श्रद्धा और आस्था का माहौल चरम पर पहुंच जाएगा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा प्रखंड में स्थित महादेवशाल धाम भी इसी आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, जिसे झारखंड का दूसरा बाबा धाम कहा जाता है। पहाड़ियों के बीच बसा यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
विशेष बात यह है कि महादेवशाल धाम में खंडित शिवलिंग की पूजा होती है.*— और यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। धार्मिक मान्यता और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ा यह स्थल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: जब अंग्रेज इंजीनियर की हुई थी मृत्यु
स्थानीय जनश्रुति के अनुसार, ब्रिटिश काल में जब बंगाल-नागपुर रेल लाइन और सुरंग निर्माण का कार्य चल रहा था, तब एक मजदूर को खुदाई के दौरान शिवलिंग स्वरूप पत्थर दिखाई दिया। मजदूरों ने धार्मिक आस्था के चलते वहां काम करने से इंकार कर दिया। इसके बाद ब्रिटिश इंजीनियर रॉबर्ट हेनरी ने स्वयं पत्थर हटाने की कोशिश की और उस पर फावड़ा चलाया। इस वार से शिवलिंग खंडित हो गया। उसी क्षण रॉबर्ट हेनरी की मृत्यु हो गई। घटना के बाद रेल सुरंग का मार्ग बदल दिया गया और उस स्थल पर मंदिर का निर्माण कर नियमित पूजा-अर्चना प्रारंभ कर दी गई।
देशभर से पहुंचते हैं श्रद्धालु
महादेवशाल धाम में झारखंड ही नहीं, बल्कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों से श्रद्धालु हर वर्ष सावन में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए सावन माह में कई एक्सप्रेस ट्रेनों का यहां विशेष ठहराव भी किया जाता है।
भव्य सजावट और तैयारियों का दौर
पवित्र सावन माह को देखते हुए मंदिर और पूरे परिसर को भव्य रूप से सजाया गया है। विद्युत लाइटिंग और पुष्प सज्जा से महादेवशाल धाम को आकर्षक रूप प्रदान किया गया है। साथ ही मंदिर परिसर में लगने वाले श्रावणी मेले की तैयारियां भी जोरों पर हैं। रविवार को मेले का उद्घाटन होगा, जिसमें सांसद जोबा माझी, स्थानीय विधायक और अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति सुनिश्चित है।
आस्था और विरासत का संगम
महादेवशाल धाम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। खंडित शिवलिंग की पूजा और उससे जुड़ी ऐतिहासिक घटना इसे विशिष्ट बनाती है। सावन की सोमवारी के अवसर पर यह स्थल आस्था, भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम बन जाता है।