सरायकेला: झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। आदित्यपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को एक महिला ने अस्पताल गेट पर ही बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों की कमी और लापरवाही से मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है।
आदित्यपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार सुबह 11 बजे अफरा-तफरी मच गई। गर्भवती महिला तुलसी सिंह, प्रसव पीड़ा से कराहती हुई अस्पताल पहुंची। लेकिन अस्पताल गेट के भीतर प्रवेश करते ही उसने बच्ची को जन्म दे दिया। आनन-फानन में स्वास्थ्यकर्मियों ने मां और नवजात को भर्ती कराया। फिलहाल दोनों स्वस्थ हैं।
लेकिन यह घटना आदित्यपुर पीएचसी की वास्तविक स्थिति को उजागर करती है। यहां चिकित्सक अक्सर उपलब्ध नहीं रहते और ज्यादातर प्रसव एएनएम यानी सहायक नर्स दाई के भरोसे कराए जाते हैं। सोमवार को ओपीडी में अनुबंधित चिकित्सक डॉ. श्वेता अग्रवाल अकेले ही 200 से अधिक मरीजों का इलाज करती रहीं।
पदस्थापित डॉक्टर डॉ. लक्ष्मी कुमारी को गम्हरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का प्रभारी बना दिया गया है, जिससे वे आदित्यपुर पीएचसी में मौजूद नहीं रहतीं। नतीजा यह है कि इलाज कराने आए मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने बार-बार सिविल सर्जन से अतिरिक्त चिकित्सक बहाल करने की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। आदित्यपुर पीएचसी की यह स्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी लापरवाही को उजागर करती है और यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर लाखों की आबादी वाले इस इलाके में बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं कब सुधरेंगी।
सवाल यह है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग कब तक इस तरह की लापरवाही को नजरअंदाज करता रहेगा?