हाथियों से मुक्ति दिलाने के लिए किरीबुरू पहुंचा बंगाल का 10 सदस्यीय टीम


चाईबासा ( संतोष वर्मा ) : पश्चिमी सिंहभूम जिले के नोवामुण्डी प्रखंड क्षेत्र में पड़ने वाले सारंडा स्थित किरीबुरू, मेघाहातुबुरु, बराईबुरु, टाटीबा आदि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों व ग्रामीणों के अलावे किरीबुरू-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग पर आवागमन करने वाले यात्रियों को हाथियों से मुक्ति दिलाने हेतु पश्चिम बंगाल का 10 सदस्यीय टीम किरीबुरू पहुंच गया है। इस दल को सारंडा वन प्रमंडल के अधिकारियों ने सारंडा के लोगों को हाथियों के आतंक से मुक्ति दिलाने हेतु बुलाया है। 

हाथियों का बड़ा समूह विभिन्न ग्रुप में बंटकर पिछले एक माह से किरीबुरू-बड़ाजामदा मुख्य मार्ग समेत उक्त शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में आतंक मचा रखा है. इस क्षेत्र के लोग हाथियों से काफी भयभीत है व आवागमन करने से डर रहे हैं।

रात में चलाते हैं हाथियों को भगाने का अभियान
बांकुड़ा से आए लोगों में अर्जुन कर्मकार, ओबानी कांत हेम्ब्रम, गणेश मांडी, दिलीप कुमार हेम्ब्रम, निंदू महाली, फूलचंद टुडू, मंतेश्वर मुर्मू, उचिंतो बास्के, रामचांत मुर्मू एवं सुचांत कर्मकार शामिल हैं। इन्होंने बताया की वह अब तक छत्तीसगढ़, बंगाल, झारखंड, बिहार के विभिन्न क्षेत्रों जैसे चाकुलिया, औरंगाबाद, गया, धनबाद, बोकारो, सिमडेगा, गुमला आदि क्षेत्रों में हाथियों को सफलता पूर्वक व शून्य दुर्घटना के लक्ष्य के साथ भगाने में सफलता पाई है। इन्होंने बताया की वह हाथियों को रात के समय भगाने का अभियान चलाते हैं।

दिन में विश्राम व रात में विचरण करते हैं हाथी

दिन में हाथी विश्राम करता है एवं गांव व सड़कों पर लोगों की गतिविधियां अधिक रहती है। दिन में भगाने से आम जनता एवं यात्रियों पर हाथियों द्वारा आवेश में आकर हमला करने की संभावना अधिक रहती है। रात में हाथी अधिक विचरण करते हैं। हाथियों के जंगल में शरण लेने की पहचान पैरों के निशान, पैखाना आदि से करते हैं। उसे भगाने के लिये मशाल का इस्तेमाल मुख्य रूप से करते हैं। मशाल व आग से हाथी अधिक डरता है. पटाखे आदि फोड़ने से वह उग्र होता है। जरुरत पड़ने पर विशेष लाइट व पटाखे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस टीम को किरीबुरू एवं गुवा वन विभाग की टीम को सहयोग करने का निर्देश दिया गया है।

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