पहली बारिश में ही टापू बना बहदा गांव, बाहरी दुनिया से कटा संपर्क


 चाईबासा ( संतोष वर्मा ) :  बारिश शुरू होते ही सारंडा का सुदूरवर्ती एवं अत्यन्त नक्सल प्रभावित गांव बहदा टापू में तब्दील हो गया है. बहदा गांव के बगल से गुजरने वाली ओम्बाबाई नदी का जलस्तर पहाड़ों से आ रही पानी की वजह से काफी बढ़ गया है. इससे बहदा गांव का सम्पर्क मुख्य सड़क एवं अन्य गांवों से कट गया. सम्पर्क कटने की मुख्य वजह बहदा एवं तितलीघाट गांव के बीच ओम्बाबाई नदी पर आज तक पुल नहीं बनाया जाना है. 

तितलीघाट गांव के बगल में किरीबुरू-मनोहरपुर मुख्य सड़क है. 

बहदा गांव के ग्रामीणों को उक्त नदी पार कर तितलीघाट होते हुए इस सड़क पर आना पड़ता है, तब जाकर वह प्रखंड, जिला मुख्यालय, थाना, अस्पताल, रोजगार आदि के लिए कही आ जा सकते हैं. मुख्य सड़क से बहदा गांव तक जाने वाली कच्ची सड़क का पक्कीकरण ग्रामीणों की निरंतर लंबी लड़ाई व आंदोलन के बावजूद आज तक नहीं हो पाया. ऐसा बताया जा रहा है कि सांसद गीता कोड़ा के प्रयास से इस सड़क व पुलिया निर्माण की निविदा प्रक्रिया हो चुकी है. लेकिन कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाया है।


पुल निर्माण नहीं होने पर करेंगे वोट बहिष्कार

बहदा के मुंडा रोया सिद्धू, सामाजिक कार्यकर्ता कामेश्वर माझी, मंगल माझी आदि ने बताया कि रविवार को बाईहातु गांव में सरकारी राशन वितरण हो रहा था. गांव के लाभुकों को राशन लेने जाना था. नदी का पानी बढ़ जाने के कारण मुख्य मार्ग पर पानी का बहाव तेज हो गया. जिससे ग्रामीण राशन लेने नहीं जा सके. ऐसे हालात पूरे बारिश भर रहते हैं. वर्षा का पानी घटने पर ग्रामीण कीचड़ भरी सड़कों से कीचड़, मलबा हटाकर चलने लायक रास्ता बनाते है. बारिश के दिनों में बहदा गांव का सम्पर्क बाहरी दुनिया एवं व्यवस्था से कट जाता है. गांव के स्कूल में शिक्षक पढ़ाने नहीं आ पाते हैं. स्कूल बंद रहता है. मरीज अस्पताल नहीं जा पाते. ग्रामीण सारी सुविधाओं से वंचित एवं खदानों में काम करने नहीं जा पाते हैं. ग्रामीणों ने कहा है कि सड़क बने अथवा नहीं बने, लेकिन ओम्बाबाई नदी पर पुल का निर्माण हर हार में होना चाहिए. अन्यथा ग्रामीण चुनाव में वोट का बहिष्कार के लिये बाध्य होंगे।

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