चाईबासा ( संतोष वर्मा ) : झारखंड राज्य में इन दिनों ग्रामीण विकास विशेष और ग्रामीण कार्य विभाग के अभियंता ईडी और एसीबी के रडार में है। ग्रामीण विकास विशेष के मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम की ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से राज्य के सभी प्रमण्डल जांच के घेरे में हैं, लेकिन एक मात्र चाइबासा प्रमंडल है, जिसे कोई जांच से डर नही लगता है,और न ही एसीबी, ईडी का डर है।
जिला से मिलने वाला योजना में डंके की चोट पर कमिशन वसुली जाती है।
बीटी सिंह की गिरफ्तारी से यह साफ हो गया है कि ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल भ्रस्ताचार का अड्डा बन चुका है। जितेंद्र पासवान अपने ऊंचे पहुंच, पैरवी के बल पर दूसरे एजेंसी का योजना को भी अपने यहां लाने का काम करतें हैं। जितेंद्र पासवान जेल में बंद निलंबित मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के काफी करीबी माने जाते हैं। बीरेंद्र राम के संरक्षक में अब तक जितेंद्र पासवान वर्क्स में ही अच्छे डिवीजन में कार्यरत हैं, बीरेंद्र राम के राजदार भी माने जाते हैं पासवान।
चाइबासा प्रमंडल में जिला से करोड़ों का फंड दिया जाता है, जिस में भारी कमिशन वसुली होती है, आखिर इतनी बड़ी काली कमाई कहां जाती है, इसकी जांच होनी चाहिए। आदिवासी बाहुल्य जिला में विकास और कल्याणकारी योजनाओं में विशेष प्रमंडल के माफिया अभियंता सीएस और जिला के नाम पर प्रशासनिक सांठगांठ से दोनो हाथों से लुट रहें हैं, कोई माननीय, नेता, पदाधिकारी कुछ भी नही बोलने को तैयार है, ऐसा लगता है कि सभी मैनेज हो गए हैं।
अब तो सिर्फ न्यायालय ही इस मामले को संज्ञान लेकर करवाई करने की आशा है।
सूत्रों की माने तो विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता जितेंद्र पासवान को जब तक संवेदक कमिशन नही देते हैं, तब तक कार्यादेश नही दिया जाता है। बीटी सिंह तो जितेंद्र पासवान का एक मोहरा है, असल में तो सब कुछ जितेंद्र पासवान हैं,जो एसीबी के गिरफ्त से बाहर है। जल संसाधन विभाग से ग्रामीण कार्य विभाग में सेवा आने के बाद से ही राज्य के सभी अच्छे क्रीम प्रमण्डल में पदस्थापित रहें हैं, जबकि इनके विरुद्ध कई गंभीर आरोप हैं, जिसे विभाग में अपने पहुंच पैरवी से दबा कर रखा है।
किया बीटी सिंह की घटना के बाद भी जिला प्रशासन विशेष प्रमंडल पर मेहरबान रहेगी।
विशेष प्रमंडल को अधिक योजना देने के लिए जिला परिषद को पंगु बनाना, तीन साल से एनआरईपी को नज़र अंदाज़ करना जिला प्रशासन की साज़िश का हिस्सा रहा है। विशेष प्रमंडल को कार्य क्षमता से अधिक कार्य देना आर्थिक स्वार्थ को सिद्ध करता है।