आर्थिक नाकाबंदी के आंदोलन से उभरे जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस पार्टी के विधायक सोनाराम सिंकु, दुसरी बार चुनाव मैदान में उतरेगें भाजपा के बिरूद्द

राजनिती में कोई किसी का गॉड फादर नहीं होता और कोड़ा दांपती से मेरा कोई रिस्ता नहीं, भाजपा प्रत्याशी से ही भिड़त


चाईबासा/संतोष वर्मा: कहते है राजनिती एक ऐसी बला है जहां कोई किसी का गॉड फादर नहीं होता और ना कोई रिस्तेदार होता है, सबकी अपनी अपनी चलती है। जी हां झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर की जा रही है ये बातें। हम इसी चुनावी तानाबाना की बात कह रहें है की जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सोनाराम सिंकु अपनी राजनिति का सफर स्कुली शिक्षा जगत से ही शुरू 1985 से करना शुरू किया था तथा 1989 में आजसू पार्टी में सक्रिय रूप से एक कार्यकर्ता के रूप में किया।

झारखंड अलग राज्य की मांग को लेकर कई बार आंदोलन में अपनी सक्रियता भी दिखाया गया था। आजसू पार्टी के संस्थापक सूर्य सिंह बेसरा के द्वारा किए गए झारखंड राज्य की मांग को लेकर 1992 में ओड़िशा, बंगाल, बिहार तीन राज्य में आर्थिक नकाबंदी का अह्वान किया गया था इसी दौरान ओड़िशा राज्य के चंपुवा जेल में पांच साथी के साथ जिसमें कृष्णा सिंकु, किशोर सिंकु, सोमनाथ सिंकु, टुपड़ा सिंकु के साथ 18 महिना जेल में बंद थे। इसके बाद जयभारत सामंता पार्टी में 2000 में ज्वाईन किए और 2019 में कांग्रेस पार्टी के द्वारा जगन्नाथपुर प्रखंड अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई।

वहीं 2015 मे मालूका पंचायत के पंचायत समिति सदस्य के रूप में चुने गये थे। 2019 प्रखंड अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष राहूल गांधी नें सोनाराम सिंकु पर भरोसा जताते हुए जगन्नाथपुर विधानसभा से उम्मीदवार बनाया और जीत दर्ज की। हलांकी उस समय पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा और पूर्व सांसद गीता कोड़ा भी कांग्रेस में शामिल थे। इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है की कोड़ा दांपती सोनाराम सिंकु को विधानसभा तक पहूंचाने में अहम भूमिका निभाया था।

लेकिन समय का पहिया कहें या चक्र चलता कहें उसी तरह इन पांच वर्षो में विधायक सोनाराम सिंकु क्षेत्र में अपनी लोकप्रियता बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ा और क्षेत्र का विकास और सरल स्वभाव से क्षेत्र में लोगों के बीच अपनी लोकप्रियता बनाली। नतिजा यह है की आज विधायक सोनाराम सिंकु का दबदवा बना हुआ है और लोगों के बीच पहली पसंद बने हुए है।विधायक सोनाराम सिंकु का भी कहना है की जिस तरह लोग हम पर भरोसा किया है हम लोगों की उम्मीद को कभी नहीं तोड़ेगे और ना ही दलबदल कर दुसरे पार्टी में जायेगें, कांग्रेस में है कांग्रेस में रहेगें, जनता का विश्वाष ही मुझे फिर बिधानसभा भेजेगी।

वहीं इस बात से इंकार किया विधायक सोनाराम सिंकु की राजनिती में हमारा कोई गॉडफादर नहीं है और ना ही हम कोड़ा दांपती के इशारे पर चलते है वो तो आदिवासी सामाज को छोड़ कर भगवा धारण कर लिया जिसके चलते लोकसभा में हार का सामना करना पड़ा यह जग जाहिर है। और होने वाले चुनाव में सिधा सिधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी गीता कोड़ा और हमारे बीच ही होगा। लोकसभा चुनाव की तरह बिधानसभा चुनाव में भाड़ी बहुमत से हारेगी। साथ ही साथ यह भी कहा गया कोड़ा दांपती से मेरा कोई रिस्ता नाता नहीं है यदी कोई बोलता है तो बेकार की बात है। हमारा रास्ता अलग है और कोड़ा दांपती का राह अलग है।हम हो समुदाय से है और महागठबंधन दल में मजबूती के साथ है।

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