काले और राम बाबु की पार्टी में पकड़ कमज़ोर करने की हो रही है कोशिश, अर्जुन मुंडा भी नहीं दिला सके काले को टिकट
काले को टिकट नहीं मिलने से पंजाबी समाज की नाराजगी पर चर्चा जोरों पर, हो सकता है भाजपा को नुकसान
भाजपा के वोट बैंक के रूप में बिहारी मतदाता भी भाजपा प्रत्याशी के प्रति असंतोष जाहिर करते नजर आ रहे हैं
रघुवर परिवार के प्रति जनता की नाराजगी को काँग्रेस भुनाने के प्रयास में जुटी
रांची डेस्क/संतोष वर्मा: जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के सबसे होट सीट जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी की नाम की घोषणा होते ही भाजपा के कई दिग्गज नेता औंधे मुँह गिर गए हैं, हाँ प्रत्याशी बनने की आशा में राम बाबु तिवारी चारों खाने चित हो गए हैं.
वहीँ पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के खास और पार्टी में पकड़ रखने वाले पूंजीपति बिजनैस मैन अमर जीत सिंह काले को भी निराशा हाथ लगी है. राम बाबु और काले को भाजपा नजर अंदाज कर के अपने प्रत्याशी श्रीमती साहू की जीत पर सवाल खड़ा कर दिया है. भीतर घात और पार्टी प्रत्याशी को हराओ अभियान की शुरुआत होने के कयास लगाये जा रहे हैं.
बिहारी मतदाता के रूझान पर गौर करने से पता चलता है कि रघुवर दास के बहु के प्रति नकारात्मक असर देखा जा रहा है. भाजपा इस सीट पर बिहारी कार्यकर्ता और नेता पर दाँव लगाने से भाजपा को लाभ मिलने की संभावना थी, दूसरी ओर काले पर भी भाजपा दाँव लागा खेल कर जीत को सुनिश्चित में बदल सकती थी, लेकिन रघुवर दास का भाजपा में एक ताक़तवर नेता की हैसियत होने के कारण पार्टी उसे नजर अंदाज करने का हिम्मत नहीं जुटा पाई.
सबसे चौकाने वाली ख़बर इंडिया गठबंधन की प्रत्याशी की घोषणा से होने वाली है, डॉक्टर अजय कुमार के अलावा भी कोई बिहारी का नाम की घोषणा हो सकती है. भाजपा के अंदर रघुवर दास की बहू के प्रति नाराजगी से इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी को लाभ मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है.
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