रतन टाटा ने संसार को किया अलविदा, लोगो के बीच हुए अमर


सरायकेला/दीपक कुमार दारोघा: देश का अनमोल रतन और  टाटा ट्रस्ट के चैरमान रतन नवल टाटा नही रहे , ब्रिच कैंडी हॉस्पिटल मुंबई में उन्होने अंतिम सांसे ली और राजकीय सम्मान के साथ 10 अक्टूबर को हिंदू क्रिमेटोरियम वर्ली में उनकी दाह संस्कर हुई।

चारो और यही चर्चा है कि देश ने एक अनमोल रतन को खो दिया। टाटा स्टील सहित टाटा समूह के मजदूरो में भी शोक की लहर है।


सूत्रो के मुताबिक टाटा समूह को बुलंदियो तक पौंछने वाले रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में नवल टाटा के घर हुआ था। उन्होने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी अमेरिका से बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर की डिग्री हासिल करने के बाद 1962 में भारत लौटे और टाटा ग्रुप में रम गए। वह कर्मचारियों के प्रिय रहे। उन्होने जीवन भर शादी नहीं की। शांतनु नायडू नामक व्यक्ति उनके मैनेजर रहा और उनकी देखभाल करता था।


सोमवार को रतन टाटा की तबियत खरब हुई और उन्हे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। हॉस्पिटल में बुधवार की रात को उन्होने अंतिम सन्से ली। उन्का जन्म पारसी समज में हुई थी। उन्होने जीवन में समाज सेवा क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अमर हो गये।

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