चाईबासा/संतोष वर्मा: ईचा खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान ने सीमावर्ती जिला मयूरभंज के तिरिंग प्रखण्ड में ईचा डैम से विस्थापित/प्रभावित राजस्व ग्राम रामबेड़ा, लंडुआ,विजयबासा, मुडदा,डोकोडीह, तिरुइबसा, मगुआ, नारगी और चन्द्री के ग्रामीणों संग तिरिंग प्रखण्ड विकास पदाधिकारी से मिलकर विस्थापितों को सरकारी सुविधा से वंचित हो रहे सुविधाओं को बहाल करने का आग्रह किया।
क्षात हो कि झारखंड उड़ीसा के सीमावर्ती डैम प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को रोक दिया गया है। जिससे विस्थापित ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। संघ झारखंड उच्च न्यायालय में स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना (ईचा डैम) को रद्द करने और विस्थापितों के हक अधिकार की कानूनी लड़ाई रही है।
संघ के अध्यक्ष बिर सिंह बिरुली ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संविधान प्रदत मौलिक अधिकार उपलब्ध कराए। शिक्षा, स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं जारी रखे। झारखंड कोल्हान के 87 और उड़ीसा के 39 गांव परियोजना के बनने से प्रभावित होगें। संघ अब झारखंड और उड़ीसा में संयुक्त रूप से आदिवासी मूलवासियों की लड़ाई लड़ेगी।
इस मौके पर रेयांश समाड, सुरेश चंद्र सोय, श्यामा कुदादा, रॉबिन देवग़म, अविनाश तारेकृष्ण कालुंडिया, बुधू कालुंडिया, घनश्याम कालुंडिया, मिलन कालुंडिया, लक्ष्मी कालुंडिया, बेलमती तीऊ, रानी कालुंडिया, मिलन कालुडिया और विस्थापित ग्रामीण उपस्थित थे।