डालसा और जेएसएलपीएस के प्रयास से सारंडा की बसंती लुगुन की घर वापसी


चाईबासा: सारंडा जंगल स्थित करमपदा गांव की रहने वाली 16 वर्षीय नाबालिक लड़की बसंती लुगुन की माता पिता की मृत्यु होने बाद बडी मां पिता के द्वारा बसंती लुगुन का पालन पौशन किया जा रहा था। गांव में काम नहीं होने का कारण परिवार काफी कठिनाई से चल रही थी।


बसंती के जीजा निरेल होरो और दीदी नर्मी होरो के द्वारा काम दिलाने के लिए वर्ष 2022 में दिल्ली ले कर गया था। नाबालिक की उम्र 16 वर्ष होने के कारण काम नहीं मिल रहा था। किसी तरह एक घर में उसे काम मिल गया। ढाई साल काम करने के बाद जिसके घर कम कर रही थी उसे पता चला कि लड़की नाबालिक है। तो उसने लड़की को काम से निकाल दिया। वह फिर काम की तलाश में इधर-उधर भटकती रही। और वह भटकते भटकते दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच गई।


वहां जीआरपी पुलिस की नजर लड़की पर पड़ने से उसे शक हुआ और लड़की को पकड़ पूछताछ की गई। जहां लड़की ने अपना पता सारंडा जंगल स्थित करमपदा गांव की रहने वाली है बताया। उसके बाद जीआरपी पुलिस ने इसकी सूचना दिल्ली चाइल्ड लाइन को दी गई। और दिल्ली चाइल्ड होम से चाईबासा सीडीपीयू में बसंती की रिपोर्ट भेजा गया। बसंती की परिवार को खोजने के लिए डालसा के पीएलवी दिल बहादुर् को दिया गया।

करमपदा गांव सारंडा के घने जंगल के होने के कारण करमपादा की जेंडर सीआ पी कुलदीप कौर और ग्राम संगठन की अध्यक्ष लक्ष्मी कुमारी की सहायता से पूरी परिवार की जांच किया गया और इसकी एसआईआर रिपोर्ट सीडीपीयू चाईबासा को भेजा गया। जिसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बसंती को दिल्ली से चाईबासा लाया गया। फिर चाईल्ड वेलफेयर कमिटी चाईबासा के द्वारा परिवार के सदस्य कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बसंती लुगुन को आज मंगलवार को दोनों मौसी के हाथो मे सौंपा गया। इस दौरान बिछड़े बसंती को पाकर एवं वापस घर पहुँच कर परिवारों में खुशी देखा गया।

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