शहीदों की धरती सिंहभूम लोकसभा सीट से दो महिला प्रत्याशी के बीच राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती

कोई मोदी की गारंटी तो कोई पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिहाई को लेकर खेल रहें है कार्ड


चाईबासा/संतोष वर्मा : लोकसभा चुनाव को लेकर जैसे जैसे मतदान की तिथि नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे सिंहभूम में चुनावी तापमान परवान पर चढ़ रही है। उसी तापमान में सिंहभूम के दो महिला प्रत्याशी अपनी अपनी जीत को सुनश्चित करने के लिए ताबड़तोड़ जनसंपर्क अभियान चला रही है। लेकिन वर्तमान सांसद गीता कोड़ा अपने विधायकी और सांसद के कार्यकाल में अपनी अमीट छाप छोड़ रखी है।

वहीं सिंहभूम संसदीय क्षेत्र में आसानी से उपलब्धता तथा विकास कार्य को लेकर अपनी छाप छोड़ रखी है चाहे वो विधानसभा के पटल पर हो या संसद के पटल पर या दिल्ली के जंतरमंतर में हो भाषा को आठवीं अनुसुची में शामिल करने की मांग को लेकर बुलंद आवाज उठाने और संसद के पटल पर ईचा डैम रद्द करने की आवाज उठाने की हो।लेकिन कोल्हान की धरती को शहीदों और बलिदानों की धरती कहा जाता है.

शहिदों की धरती कोल्हान से सिंहभूम लोकसभा सीट से दो महिला प्रत्याशी सांसद सह भाजपा प्रत्याशी गीता कोडा़ एवं पूर्व मंत्री सह झामुमो प्रत्याशी जोबा माझी के बीच अपनी अपनी राजनीतिक विरासत बचाने की चुनौती है. कोल्हान की इसी धरती में कोल विद्रोह हुआ था, गुआ गोली कांड हुआ था, खरसावां गोली कांड के साथ हीं कोल्हान की धरती के आदिवासी वीर सपूतों ने सिरिंगसिया घाटी में अंग्रेजों को हराने का काम किया था. आज इस धरती में सिंहभूम लोकसभा सीट से उक्त दो लोकप्रिय महिला प्रत्याशी आमने सामने हैं.झामुमो प्रत्याशी जोबा माझी.

जहां वर्तमान सांसद गीता कोड़ा कांग्रेस पार्टी छोड़ कर अपने पति पूर्व मुख्य मंत्री मधु कोड़ा के साथ भाजपा में चली आई और पार्टी ने प्रत्याशी भी बनाया है. वहीं झामुमो ने अपने पार्टी हित में एक सोंची समझी रणनीति के तहत जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ने वाले शहिद देवेंद्र मांझी की पत्नी वर्तमान में मनोहरपुर की विधायक जोबा मांझी को प्रत्याशी बनाकर नहले पे दहला जैसा चुनौती दे दिया है. दोनो महिलाओं की राजनीतिक पकड़ काफी मजबूत है. दोनो महिलाओं के पति का इतिहास भी अलग-अलग है. जहां गीता कोड़ा के पति मधु कोड़ा का राजनीतिक ग्राफ तब तेजी से बढ़ा, जब वह भाजपा छोड़ कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ कर जीत दर्ज की थी.

दूसरा समय तब था जब वह निर्दलीय विधायक के रुप में झारखंड का मुख्यमंत्री बनकर राजनीतिक में ऊंचे झलांग लगा कर बुलंदियों को छू लिया था. उसके बाद श्री कोड़ा को राजनीतिक रुप से हानि का सामना करना पड़ा, 4000 हजार करोड़ का घोटाला के आरोप में जेल जाना पड़ा. मधु कोड़ा के जीवन में राजनीतिक विकास का सबसे बड़ा योगदान दिवंगत भाजपा नेता हरिओम झा का रहा है. मधु कोडा़ का राजनीति मजदूर आंदोलन व संघर्षों से प्रारम्भ हुआ था.

दूसरी तरफ जोबा मांझी के शहिद पति देवेंद्र मांझी कोल्हान के सारंडा, कोल्हान व पोड़ाहाट के जल, जंगल, जमीन बचाओ अभियान के मुखिया थे. चक्रधरपुर और मनोहरपुर से एक एक बार विधायक भी रहे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के दीशोम गुरु शिबू सोरेन के बाद देवेंद्र मांझी ही दूसरे बड़े आंदोलनकारी नेता थे, जिसकी हत्या गोईलकेरा बाजार में अपराधियों द्वारा कर दी गई थी. शहिद देवेंद्र मांझी की सहानुभूति और लोकप्रियता के कारण जोबा मांझी विधायक बनी. जोबा मांझी बिहार सरकार और झारखंड सरकार में लगातार मंत्री रहीं.

शहीद देवेंद्र मांझी पर कभी भी घोटाला या भ्रष्टचार का आरोप नही लगा और ना ही जोबा मांझी के राजनीतिक कार्यकाल में किसी सरकार में भी घोटाला का आरोप लगा. स्वच्छ, ईमानदार और सादगी वाली छवि के रूप में अपना पहचान बनाने में अब तक सफल रहीं हैं. दोनो महिला प्रत्याशी की राजनीतिक विरासत काफी मजबूत है.

इस मजबूत किला को भेदने के लिए अपने अपने राजनीतिक हथियार से जोर आजमाईश करते दिख रही हैं. जेएमएम के सभी विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री जिस तरह से ईमानदारी पूर्वक अपने आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जोबा मांझी को जिताने के लिए मेहनत करते दिख रहे हैं, उसे देख कर कोड़ा दम्पत्ति भी अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

मधु कोड़ा की अपनी अलग राजनीतिक पहचान है. जिस पार्टी में रहते हैं, वह पार्टी कोड़ा पार्टी हो जाता है. असल पार्टी सेकंड पार्टी के श्रेणी में चला जाता है. इस लोकसभा में कोल्हान से वर्तमान व पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. विशेष रूप से वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन का. सबसे बड़ी चुनौती पूर्व मुख्यमंत्री युवा सम्राट के रूप में पहचान बना चुके हेमंत सोरेन के लिए है, जिन्होंने जोबा मांझी को प्रत्याशी बनाया है.गीता कोड़ा के मेहनत को मधु कोड़ा सफल बनाने में लागे हैं. जोबा मांझी की सादगी और ईमानदार छवि जनता के बीच चर्चा में है.

आदिवासी एकजूटता का लाभ चुनाव में भाजपा को या झामुमो को मिलेगा इसके लिये दोनो पार्टी लगे हैं अपने पक्ष में करने के लिए. आदिवासी हो समाज महासभा व युवा महासभा भी दो खेमा में बंटा दिखाई दे रहा है. कोड़ा दंपति के पार्टी छोड़ने का लाभ और हानि का आकलन करने में जुटी है जनता.

झामुमो का चाईबासा में केंद्रीय चुनाव कार्यालय का उद्घाटन समारोह में झामुमो के विधायक, नेता और कार्यकर्ता में जिस तरह से अपने प्रत्याशी की जीत को लेकर गंभीरता दिखाई देता नज़र आ रहा था, उससे साफ हो गया है की पार्टी पुरी तरह से जोबा मांझी को जिताने में कमर कस चुकी है. लगातार जोबा मांझी अपने पार्टी विधायकों के साथ चुनावी दौरा में नज़र आ रही हैं.
पार्टी के द्वारा जिस तरह से प्रत्याशी घोषित करने में काफी विलम्ब किया गया, उससे गीता कोड़ा का एक तरफा चुनाव प्रचार दिख रहा था.

लेकिन देर से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भी जोबा मांझी का दौरा और कार्यक्रम विलम्ब होने का असर को समाप्त करने में सफल दिख रही हैं. सभी विधायकों के लिए यह चुनाव सेमीफाइनल के समान है, इसलिए इसी चुनाव में फाइनल की तैयारी में जुटे हैं सभी विधायक ताकि छः माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अधिक मेहनत नहीं करना पडे़. लेकिन सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में इन दिनों दो मुद्दा छाया हुआ है जिसे लेकर दोनों ही प्रत्याशी के लिए गले की हड्डी बन बैठी है जिसमे एक ईचा खरखाई डैन का मामला तो दुसरा 543 संसदीय क्षेत्र में एक बहुल हो आदिवासी क्षेंत्र में संताल प्रत्याशी क्यों?

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